आज एक बहुत सुन्दर वाकया हुआ ! मेट्रो में कुछ लडकियाँ खूब शोर मचाते हुए , बात करते हुए प्रवेश हुई ! थोड़ी देर बाद उनके बगल में खड़े लड़के ने गुस्से से उनकी और देख कर कहा : Dont Touch me ! Keep your hands away from me ! वो लडकियाँ सन्न ! और ऊपर से लड़ने लगी कि मेट्रो में तो touch हो जाता है क्योंकि मेट्रो हिलती डुलती रहती है ! पर वो लड़का और गुस्से में आकर बोला ! Whatever ! I dont want you to touch me ! Stay away from me ! उन लड़कियों का बुरा हाल था ! पूरे मेट्रो में चिल्लाती रही कि बड़ा आया ! Touch होने से क्या इज्जत चली गयी तुम्हारी ? इस पर लड़के ने पलटकर बड़ा अच्छा जवाब दिया - क्यों एक तुम्हारी ही इज्जत होती है क्या , लड़कों की कोई इज्जत नहीं ??? वो लड़की बोली थप्पड़ मार दूंगी ! उसने तपाक से जवाब दिया - अपनी हैसियत में रह ! तुझसे ज्यादा भारी हाथ मेरा है ! एक में ही ज़मीन पर लोटती नज़र आएगी ! कुछ लोगों ने लड़के को समझाया बुझाया ! पर वो लड़की पूरे मेट्रो भर गालियाँ देती रही उसे कि दूसरी मेट्रो खरीद ले और उसमें अकेले जाया कर ! बोलती ही गयी ! दो स्टेशन बाद लड़के का स्टेशन आया ! वो बड़े c
दिखा तो चेहरा भी न था ठीक से और वो दूसरे डिब्बे की और बहुत जल्दी में आगे निकल गया! मन विचलित ही रहा उस क्षण भर की मुलाकात के बाद! जाने क्या रिश्ता सा बन गया था उस पल भर में ही उस एक अनजान से! बहुत देर खुद से लड़ने और प्रश्न पूछने के बाद मन ने उत्तर दिया कि शायद आत्मा ही प्रेम को जानती है, फिर कहाँ ज़रूरत रह जाती है किसी भी पहचान की! पर दुविधा ये की अब वो मिलेंगे कैसे! फिर मन को समझाते हुए मन ही उत्तर देता है कि कुछ #प्रेम_गाथा_अधूरी_ही_सत्य_का_दर्पण_होती_है, बस प्रेम हृदय की अनन्त गहराइयों से उपजा हो कहीं! प्रेम पूर्ण होता है मन से, न कि तन से! कोई मिले या न मिले प्रेम तो बस निरन्तर निष्काम अपना काम करता ही रहता है, बस सच्चाई साथ लिए! #प्रेम_त्याग_की_विषय_वस्तु_है_व_प्राप्ति_शून्य_से_ही_केवल_फलीभूत_होना_सम्भव_है_केवल_इसका!!! कहीं पढा था ऐसा तो अचानक से ये भी याद आ गया! पर स्थूल तन कहाँ मन की ये बात आसानी से मान लेने वाला होता है कभी! सुना है प्रेम में पड़े मन को तन का नियंत्रण भी हासिल हो ही जाता है! भाव बदले नहीं कि तन पर स्प्ष्ट प्रहार शुरू! आंखें खोई खोई सी, देखती होगी आपको